Wednesday 16 December 2020

10. साए

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10.  साए
















 

1) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक दो पंक्तियों में दीजिए:

 

1. परिवार वाले हर रोज किसकी राह देखते थे?

उत्तर: परिवार वाले हर रोज अफ्रीका में रह रहे पति के पत्र की राह देखते थे |



 

2. घर का मुखिया कारोबार करने कहां गया हुआ था?

उत्तर:  घर का मुखिया सांझे में कारोबार करने के लिए अपने एक मित्र के साथ अफ्रीका गया हुआ था |

3.  अज्जू बड़ा होकर क्या बनना चाहता था?

उत्तर:  अज्जू बड़ा होकर अपने पापा की तरह अफ्रीका जाना चाहता था ताकि इंजीनियर बनकर पापा के साथ खूब काम करें |

 

4. अज्जू को नैरोबी में मिला वृद्ध व्यक्ति कौन था?

उत्तर:  अज्जू अपनी पढ़ाई पूरी करके पासपोर्ट , वीजा लेकर अब नैरोबी पहुंचा तो वहां उसे अपने पिता के घर वह वृद्ध व्यक्ति मिला जो उसके पिता का जिगरी दोस्त और सांझे में कारोबार करता था |

 

 

2) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन चार पंक्तियों में दीजिए:

 

1. नैरोबी के अस्पताल से आए पत्र को पढ़कर पत्नी परेशान क्यों हो गई?

उत्तर:  बहुत लंबे समय के पश्चात नैरोबी के एक अस्पताल से आए पत्र को पढ़कर पत्नी इसलिए परेशान हो गई, क्योंकि वह पत्र बड़ा करुणामय तथा दर्दभरा था| उसका पति रोगग्रस्त था | पत्र में यह साफ- साफ लिखा था कि रंगभेद के कारण उसे यूरोपियन लोगों के अस्पताल में जगह तो नहीं मिलती, फिर भी कहने कहलाने  पर स्थान तो मिल गया है पर उसके पति का ऑपरेशन होगा | पता नहीं क्या होगा | भगवान सब का रखवाला है ,  आदि -आदि |  पत्नी यह पत्र पड़ती ..... रोती..... अबोध बच्चे रुलाई भरी आंखों से मां का मुंह देख रहे थे |

 

2. घर से जाने वाले पत्र में अज्जू और तनु के बारे में क्या क्या लिखा था?

उत्तर:  घर से जाने वाले पत्र में अज्जू के विषय में यही लिखा गया था कि वह पढ़ने में बहुत मेहनत करता है ,उसे वजीफा मिलेगा | उसी से वह अपनी आगे की पढ़ाई जारी रख सकता है | वह भी पापा की तरह अफ्रीका जाएगा | इंजीनियर बनेगा और पापा के साथ खूब काम करेगा | तनु अब 18 पार कर रही है | उसका भी विवाह करना है | कहीं कोई अच्छा- सा लड़का, अपनी जात- बिरादरी का मिले तो चल सकता है.....|

 

3. तनु के लिए वर सहज रूप से मिल जाने का क्या कारण था?

उत्तर:  तनु के लिए वर सहज रूप में मिल गया | वर की तलाश में अधिक भटकने की आवश्यकता हुई | आसानी से खाता - पीता घर मिल गया | शायद इतना अच्छा घर आना मिलता लेकिन इस भरम से की कन्या का बाप अफ्रीका में सोना बटोर रहा है | सब सहज हो गया |

 

4. अज्जू के लिए अफ्रीका से क्या-क्या आया था?

उत्तर:  इनाम में मिली सारी वस्तुओं, बहुत से सर्टिफिकेट, वजीफा- पत्र के फोटो अज्जू ने अपने पापा को  अफ्रीका में भेज दिए | बदले में उसे कीमती कैमरा, गरम सूट का कपड़ा ,एक सुंदर घड़ी तथा साथ में एक मर्मस्पर्शी लंबा पत्र भी आया जिसमें सबका कुशलक्षेम पूछा गया था तथा अज्जू के लिए शुभ आशीष के साथ नाम रोशन करने की ईश्वर से प्रार्थना भी की गई थी |

 

5. पढ़ाई पूरी करने के बाद अज्जू ने अफ्रीका जाने का निर्णय किन किन कारणों से किया?

उत्तर:  अफ्रीका से अंतिम पत्र आया था कि  अज्जू जब तक पढ़ाई पूरी नहीं कर लेता, तब तक कुछ नहीं हो सकता | अंत में वह दिन भी पहुंचा जब अज्जू ने अपनी पढ़ाई पूरी कर ली | अच्छी नौकरी की तलाश शुरू हुई | पर अब भी पिता के घर आने की संभावना ना दिखी तो उसने   खुद अफ्रीका जाने का कार्यक्रम बना लिया | उसने अफ्रीका में  पहुंचकर पापा को चौकाने की पूरी पूरी योजना बना ली |  उसने टिकट खरीद लिया, पासपोर्ट, विजा भी सब देखते देखते बन गया और एक दिन दिल्ली से वह विमान से रवाना भी हो गया |

 

6. अज्जू को अंत में पिता के जिगरी दोस्त ने भरे गले से क्या बताया?

उत्तर:  पिता के जिगरी दोस्त ने अज्जू के चेहरे की ओर देखा और भरे गले से कहा, "मैं तुम्हारे पिता का जिगरी दोस्त हूं | तुम्हारे पिता को तभी (10 - 15 साल पहले ही) गुजर गए थे | अपने सांझे कारोबार से, उनके ही हिस्से के पैसे तुम्हें निर्मित रूप से भेजता रहा हूं | कितने वर्षों से मैं इसी दिन के इंतजार में था..... अब तुम बड़े हो गए हो | अपने इस कारोबार में मेरा हाथ बटाओ | तुम सरसब्ज हो गए , मेरा वचन पूरा हो गया , जो मैंने उसे मरते समय दिया था | " यह सब कहते हुए उनका गला भर आया |

 

3) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 6- 7 पंक्तियों में दीजिए:

 

1. वृद्ध व्यक्ति का चरित्र चित्रण कीजिए?

उत्तर:  वृद्ध व्यक्ति अज्जू के पिता के सांझे कारोबारी थे | जब अज्जू के पिता का देहांत हो गया तब वह वृद्ध व्यक्ति अपने मित्र के सांझे की रकम पिता बनकर लगातार उसके बच्चों के लिए भेजता रहा | उसकी इमानदारी इससे अधिक और क्या हो सकती है कि अपने मृत मित्र के परिवार को सफल जिंदगी देकर अंत में उसके हिस्से का काम भी उन्हें सौंप देता है | इस प्रकार      वृद्ध व्यक्ति अपने उत्तरदायित्व को कभी भी नहीं भूलता| अपने  मृत मित्र के परिवार को सांत्वना भरे कई पत्र भी लिखता रहता है| उसकी बेटी की शादी के लिए वह गहने और कपड़ों  का भी व्यवस्था करता है | अज्जू को भी उसके पास होने पर कीमती कैमरा, गर्म सूट का कपड़ा तथा सुंदर घड़ी भी भेजते हैं | सचमुच वह बड़े ही सहदय पुरुष है |

 

 

2. वृद्ध व्यक्ति ने अज्जू और उसके परिवार को देखभाल में क्या भूमिका निभाई और क्यों?

उत्तर:  अफ्रीका में सांझे में काम करने वाले दो मित्रों में से एक का देहांत हो जाता है तथा दूसरा व्यक्ति कई वर्षों तक उसके परिवार को उसकी मृत्यु की सूचना ना देकर  खुद ही उसके परिवार का मुखिया बन कर सारे उत्तरदायित्व निभाता है | वह खुद बूढ़ा हो जाता है, पर वह अपने मित्र की मृत्यु का आभास उसके परिवार को नहीं होने देता | अज्जू जब अफ्रीका जा पहुंचता है तो वे उसे अपने कारोबार में मिला लेता है तथा अपने मृत मित्र का सारा हिस्सा सौंप देता है | इसके अतिरिक्त समय समय पर वह उसके परिवार को सभी परिस्थितियों में उचित सहयोग देता रहता है |

 

3. साईं कहानी के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए?

उत्तर:  हिमांशु जोशी द्वारा रचित 'साए' नामक कहानी का शीर्षक   उपयोगिता तथा सार्थक प्रतीत होता है, क्योंकि हम देखते हैं कि अफ्रीका  के नैरोबी में जाकर जब दो मित्र कारोबार करते हैं और जब एक मित्र का देहांत हो जाता है तो दूसरा मित्र उसके परिवार का एक साया बनकर उनको हर अवस्था में संरक्षण प्रदान करता है | वह अपने मित्र के परिवार को सभी कठिन परिस्थितियों में से एक पिता की तरह अपनी छत्र - छाया प्रदान करता है | उसके परिवार को इस बात का पता ही नहीं लगने  देता कि उनके मुख्य मेंबर का देहांत हो चुका है |वह उन सब के लिए ऐसा साया  था जिसके आसरे उन लोगों ने भंवर को पार कर लिया था |

 

4. निम्नांकित कथनों के भावार्थ स्पष्ट करो:

 

. "   तिनकों के सहारे तो हर कोई की जी लेता है लेकिन कभी-कभी हम तिनकों के साए मात्र के आसरे भंवर से निकलकर किनारे पर लगते हैं |"

 

उत्तर:() जब अज्जू अपने पिता से मिलने के लिए अफ्रीका के नैरोबी में जा पहुंचता है तो उसे उसके पिता तो नहीं मिलते पर उसके पिता के मित्र और कारोबार के सहयोगी एक वृद्ध व्यक्ति उसका स्वागत करता है | वह उसे उसके पिता की मृत्यु की बात बता देता है तथा उसे सांत्वना देते हुए कहता है कि वस्तुत: उसके पिता की मृत्यु के अंतर वही है जो सदैव उनका पिता बनकर उनके परिवार को संरक्षण प्रदान करता है |

. "हम दुर्बल होते हुए, असहाय, अकेले होते हुए भी कितने कितने बीहड़ वनों को पार कर जाते हैं, आसरे की एक अदृश्य डोर के सहारे....."

 

():  दूसरे संदर्भ में भी यही बात बताने की चेष्टा की गई है कि यदि मैं तुम्हारे पिता की मृत्यु आज से 10 -15 साल पहले अपने परिवार को बता देता, तो तुम्हारी मां घुट-घुट कर कब की मर चुकी होती , तुम इतने हौसले से पढ़ नहीं पाते | निराशा की, हताशा की, असुरक्षा की इतनी गहरी खाई में होते, कि वहां से   अंधेरे  के अलावा तुमको कुछ भी ना दिखता | मैंने तो केवल इतना ही प्रबंध करने की चेष्टा की है कि आप लोग दुर्बल होते हुए भी , असहाय तथा अकेले होते हुए भी अपने जीवन रूपी   बीहड़ वनों को अर्थात जीवन के उबड़ खाबड़ मार्गों को सुगमता से पार पा जाओ | मैंने तो केवल सहारे का अर्थात आश्रय को एक अदृश्य डोर बनकर आपके परिवार को सहारा देने की चेष्टा की है | मैंने तो केवल एक मित्र का फर्ज पूरा किया है | वास्तव में कठिन समय में मदद करने वाला मित्र ही असली मित्र होता है |