Wednesday, 16 December 2020

8. पाजेब

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8. पाजेब














 

1) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक दो पंक्तियों में दीजिए:

 

1. मुन्नी के लिए पाजेब कौन लाया?

1. मुन्नी के लिए पाजेब उसकी बुआ लाई |



2. मुन्नी को पाजेब मिलने के बाद आशुतोष भी किस चीज के लिए जिद करने लगा ?

2. मुन्नी के बड़े भाई मुन्नी को पजेब मिलने के बाद आशुतोष भी साइकिल के लिए जिद करने लगा |

3. लेखक की पत्नी को पाजेब चुराने का संदेह सबसे पहले किस पर हुआ?

3. लेखक की पत्नी को पाजेब चुराने का संदेश सबसे पहले अपने नौकर बंसी पर हुआ|

4. आशुतोष को किस चीज का शौक था?

4. आशुतोष को पतंग उड़ाने का शौक था |

 

5. जब आशुतोष ने छून्नू को  पाजेब देने की बात की तब उसकी मां ने अपने पुत्र को सख्ती से पूछा और उसके इनकार करने पर उसे धम्म धम्म पीटना शुरू कर दिया | वह शहीद की भांति पीटता रहा था | रोया बिल्कुल नहीं था.....|

 

6. गुम हुई पाजेब कहां से मिली?

6. गुम हुई पाजेब आशुतोष की बुआ की जेब से मिली जो गलती से उसी के साथ चली गई थी |

 

2) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन चार पंक्तियों में दीजिए:

 

1. लेखक को आशुतोष पर पाजेब चुराने का संदेह क्यों हुआ?

1. आशुतोष पतंग उड़ाने का बड़ा शौकीन है   और बातों बातों में जब इस बात का पता चला कि उस शाम आशुतोष पतंग और एक डोर का पिन्ना नया लाया है | लेखक ने सोचा  संभवत: आशुतोष को पाजेब कहीं पड़ी हुई मिल गई होगी और उसने पाजेब बेचकर अपनी  पतंग का सामान खरीद लिया होगा |

 

2. पाजेब चुराने का संदेह किस किस पर किया गया?

2. पाजेब चुराने का संनदेह सर्वप्रथम उनके नौकर बंसी पर गया | उसने साफ इंकार किया तब आशुतोष से पूछ - ताछ शुरू हुई | उसने भी कई तरह  से टालमटोल करने की चेष्टा की |  आशुतोष के संदर्भ में  छुन्नू का नाम भी चर्चा में रहा |  आशुतोष ने पाजेब पतंग वाले को  11 आने पैसे में बेच देने की बात कही | परंतु अंत में पता चलता है की पाजेब बुआ के साथ भूल से चली गई थी |

3. आशुतोष ने चोरी नहीं की थी फिर भी उसने चोरी का अपराध स्वीकार किया | इसका क्या कारण हो सकता है?

3. आशुतोष ने सचमुच पाजेब की चोरी नहीं की थी लेकिन उसके पिता को आशुतोष पर ही संदेह हो रहा था | आशुतोष के हावभाव से भी लग रहा था कि उसने ही पाजेब चुराई है | इधर अपने अनग्रल प्रलाप के कारण ही इस झमेले में फंसते चले गए और चोरी ना करने पर भी उसे और अपना अपराध स्वीकार करना पड़ा |

4. पाजेब कहां और कैसे मिली?

4. वास्तव में   पाजेब की ना तो चोरी हुई थी, ना ही उसे कहीं किसी के पास रखा गया था और ना ही उसे किसी पतंग विक्रेता के जहां बेचा गया था | वस्तुस्थिति यह थी कि आशुतोष की बुआ जिसने वह  पाजेब मुन्नी के लिए खरीदी थी उस दिन सायंकाल को  जब अपने घर जाने लगी तो भूल से  एक पाजेब उनकी   बास्कट में उनके साथ चली गई थी |

 

3) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 6- 7 पंक्तियों में दीजिए:

 

1. आशुतोष का चरित्र चित्रण कीजिए?

1. आशुतोष पाजेब कहानी का मुख्य पात्र है |  तथा मुन्नी का बड़ा भाई |  जब मुन्नी को उसकी बुआ पाजेब ले कर देती है तो वह  भी पाजेब नहीं तो बाईसाइकिल को अपनी बुआ से मांग कर बैठता है |  आशुतोष पतंग उड़ाने का बड़ा शौकीन है, इसीलिए पाजेब की चोरी उसके  मत्थे लगा दी जाती है क्योंकि उस शाम वह पतंग और डोर का नया पिन्ना लेकर आया था | आशुतोष ने केवल एक बार अपने क्रोध भी अभिव्यक्ति की |  जब उसके  पिता बार-बार उससे पूछते हैं "क्यों बेटे, तुमने ही तो नहीं ली ?" तब उसने सिर हिला कर क्रोध से अस्थिर होकर और तेज आवाज में खाकी मैंने नहीं ली ,नहीं ली, नहीं ली |

 

2. आशुतोष के माता-पिता ने बिना किसी मनोवैज्ञानिक सूझबूझ के आशुतोष के प्रति जो व्यवहार किया उसे अपने शब्दों में लिखिए?

2. आशुतोष के माता-पिता ने बिना किसी मनोवैज्ञानिक सूझबूझ के आशुतोष के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया | उन्होंने बिना सोचे समझे सिर्फ इस बिनाह पर अपने बेटे को  पाजेब का चोर समझ लिया कि वह शाम को नहीं पतंग और डोर लाया था | प्रश्न उत्तर का ऐसा सिलसिला  चलाया कि वह मासूम बिना किसी कुसूर के अपराध  कबूलने  पर मजबूर हो गया | उन्होंने एक बार भी ना सोचा कि उसके मासूम दिल पर उनके कठोर व्यवहार पर क्या असर हुआ होगा |

3. आशुतोष के किन कथनों और कार्यों से संकेत मिलता है कि उसने पाजेब नहीं चुराई थी?

3. आशुतोष के आरंभ से लेकर अंत तक के सभी  कथनों से यही प्रतीत होता है कि वह  निर्दोष है और उसने पाजेब नहीं चुराई थी | उसने भले ही  पतंग तथा डोर खरीदी थी ,   पर  पाजेब बेचकर नहीं | जब उसके पिता    सखक्ति से उससे पूछते हैं तो वह क्रोध से अस्थिर तथा तेज आवाज में यही कहता है कि मैंने नहीं ली , नहीं ली , नहीं  ली |  पतंग वाले से पांच आने लेने की बात को भी स्पष्ट नहीं कर पाता | वह सब परिस्थितियों में हा, हा कहता रहता है या फिर चुप हो जाता है| इस प्रकार उसके सभी कथनों तथा कार्यकलापों से यही सिद्ध होता है कि आशुतोष ने पाजेब नहीं चुराई थी

4. " प्रेम से अपराध वृत्ति को जीता जा सकता है, आंतक से उसे दबाया ठीक नहीं है....." इस वाक्य का आशय स्पष्ट कीजिए?

4.  पाजेब कहानी के अंतर्गत जब एक  पाजेब गुम हो जाती है तो घर में खलबली सी मच जाती है | माता पिता अपने ही पुत्र आशुतोष को इस मामले में लपेटना चाहते हैं | वह   इंनकार करता है तो उसकी मां उसे कहती है कि देखो बेटे, ली हो तो कोई बात नहीं, सच कह देना चाहिए| इस कथन पर आशुतोष मुंह फुलाकर गुमसुम होकर बैठा रहा | तभी पिता के मन में उस समय तरह-तरह के सिद्धांत आए और उन्होंने स्वीकार किया कि अपराध के प्रति करुणा ही होनी चाहिए |  रोष का अधिकार नहीं |प्रेम से ही अपराध व्रती को जीता जा सकता है ,  आंतक से उसे दबाना ठीक नहीं है | वास्तव में बालक का स्वभाव तो  कोमल ही होता है | अत: सदा ही उससे स्नेह से व्यवहार करना चाहिए |