Wednesday 16 December 2020

14) महान राष्ट्रभगत मदन लाल ढींगरा

0 comments

14) महान राष्ट्रभगत मदन लाल ढींगरा












 

1) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए:

 

1. मदन लाल ढींगरा का जन्म कब हुआ?

 

उत्तर:  महान शहीद मदनलाल ढींगरा का जन्म 1887 ईसवी में पंजाब के एक संपन्न परिवार में हुआ था |

 


2. मदन लाल ढींगरा को   लाहौर कॉलेज की पढ़ाई क्यों छोड़नी पड़ी?

उत्तर:  मदनलाल ढींगरा शुरू से ही स्वतंत्रता प्रेमी थे| अत: लोहार कॉलेज में पढ़ते हुए उन्हें देश भक्ति के कारण कॉलेज छोड़ना पड़ा था |

 

3. कॉलेज की पढ़ाई छोड़कर उन्होंने अपना गुजारा कैसे किया?

उत्तर:  कॉलेज की पढ़ाई छोड़कर मदन लाल ढींगरा ने अपने जीवन यापन के लिए कई  धंधे किए, जिनमें कारखाने की मजदूरी तथा इसके साथ ही साथ रिक्शा और चंगा तक चलाना भी शामिल है |

 

4. वे इंग्लैंड में कौन सी पढ़ाई करने गए थे?

उत्तर:  मदनलाल ढींगरा 1906 में इंग्लैंड में यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में मैकेनिकल इंजीनियरिंग करने गए थे |

 

5. मदनलाल ढींगरा किस क्रांतिकारी संस्था के सदस्य बने?

उत्तर:  मदनलाल ढींगरा 'अभिनव भारत' नामक क्रांतिकारी संस्था के सदस्य बने |

 

6. कर्जन वाली कौन था?

उत्तर: कर्जन वायली भारतीय राष्ट्रीय संस्था का एक सलाहकार सचिव था |

 

7. मदनलाल को फांसी की सजा कब दी गई?

उत्तर: 17 अगस्त, 1909 को मदनलाल ढींगरा को कर्जन वायली की हत्या करने के जुर्म में फांसी की सजा दी गई थी |

 

8.  शहीद मदनलाल ढींगरा की अस्थिया है भारतभूमि कब लाई गई?

उत्तर:  13 दिसंबर 1970 को महान शहीद मदनलाल ढींगरा की अस्थियां भारत भूमि पर लाई गई |

 

2) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए:

 

1. मदनलाल ढींगरा ने अंग्रेजों से बदला लेने की क्यों ठानी?

उत्तर:  भारतीय छात्रों में राष्ट्रवादी विचारों के प्रचार के लिए जब 'इंडिया हाउस' की स्थापना की गई, तब ढींगरा भी वही रहते थे | उन दिनों खुदीराम बोस, कन्हैया लाल दत्त, काशी राम आदि कई क्रांतिकारियों को अंग्रेजों ने मृत्युदंड दे दिया | इन घटनाओं ने मदनलाल जैसे देश भक्तों के मन में अंग्रेजों के प्रति नफरत और बदले की भावना को जन्म दिया |

 

1.     आपको शहीद मदनलाल ढींगरा के जीवन से क्या प्रेरणा मिलती है?

उत्तर:  मदन लाल धींगरा तथा सावरकर जैसे देशभक्तों के मन में अंग्रेजों के प्रति नफरत और बदले की भावना   ने जन्म लिया | कर्जन वायली जब भारतीय राष्ट्रीय संस्था में 1 जुलाई ,1909 में वार्षिक दिवस के अवसर पर आया तो मदनलाल ढींगरा, जो ऐसे अंग्रेज अधिकारियों से नफरत करते थे का खून खौल उठा क्योंकि ऐसे नीच अधिकारियों ने हजारों भारतीयों को गुलाम बनाया तथा  बिना किसी कारण मौत के घाट उतारा | अत: बदले की भावना में ग्रस्त 22 वर्ष के मदन लाल ने अपनी जेब से पिस्तौल निकालकर कर्जन वाली को सात गोलियों से वहीं ढेर कर दिया |

 

 

उत्तर:  ढींगरा की महान शहादत को याद करते हुए लाला हरदयाल ने कहा की  ढींगरा की  शहीदी  राजपूत और सिखों की कुर्बानियों का समृति  पुंज है  जिसके  कारण  शहादत अमर बन जाती है | अंग्रेज सोचते होंगे कि उन्होंने मदन लाल ढींगरा को फांसी देकर सदा के लिए स्वतंत्रता की आवाज को दबा दिया है , परंतु वास्तविकता यह है कि यही  आवाज भारत को  अंतर  स्वतंत्र बनाएगी |

 

3)

 

1.

 

उत्तर:  मदन लाल ढींगरा सच्चे देश भक्त थे |  वे कर्जन वायली की हत्या करते भागे नहीं , अपितु बड़े आराम से अपना चश्मा ठीक करते हुए उन्होंने भरी सभा में अपने देशभक्त होने का सशक्त दिया | मदनलाल ढींगरा ने बंग भंग आंदोलन के समय भी लंदन की गोलियों को वंदे मातरम से गुंजाया था | वह अपनी कमीज पर तथा अपनी हर पुस्तक के ऊपर वंदे मातरम लिखा करते थे | एक सच्चे देशभक्त की तरह वे भारतीय संस्कृति के मूल्यों का अनुपालन करना भी भली प्रकार जानते थे |

 

2.

 

उत्तर:  शहीद मदनलाल ढींगरा के जीवन से सबसे पहले हमें देशभक्ति की प्रेरणा मिलती है | मदन लाल की विचारधारा समरथा भारतीय संस्कृति के अनुरूप थी | उसके जीवन तथा उसकी विचारधारा का हमें सम्मान करना चाहिए | उनके जोश भरे वक्तयों से भी हमें प्रेरणा मिलती है कि देश सर्वोपरि होता है | ढींगरा ने अपने एक वक्तव्य में यह कहा था कि हिंदू होने के नाते मैं अनुभव करता हूं की गुलामी राष्ट्र देवता का अपमान है | राष्ट्र पूजा करना राम और कृष्ण की पूजा है | मैं तब तक बार-बार जन्म लेना चाहूंगा जब तक भारत मां  स्वतंत्र हो जाए |  ढींगरा के उत्साहवर्धक वक्तवय  भी  सवरथा प्रेरणादायक है तथा नवयुवकों में अपने देश के प्रति  उत्साहवर्धक कहा जा सकता है | मदन लाल ने भारत  आजाद करवाने के लिए जिस प्रकार का बलिदान दिया था वह तत्कालीन युवकों के लिए एक मिसाल ही बन गया था |