Wednesday 16 December 2020

15) एक अंतहीन चक्रव्यू

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15) एक अंतहीन चक्रव्यू

 

1) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो पंक्तियों में दीजिए:

 

1. नशे के चक्रव्यूह में फंसा आदमी क्या कुछ लुटा देता है?

उत्तर:  नशे के दलदल भरे चक्रव्यूह में फंसा आदमी तन -मन - धन अर्थात अपना सब कुछ ही लुटा देता है |

 


2.   व्यसन या ड्रग एडिक्शन किसे कहते हैं?

उत्तर:  कोई भी बुरी आदत व्यसन कहलाती है तथा किसी भी नशीले पदार्थ पर शारीरिक तथा मानसिक रूप से निर्भरता ड्रग - एडिक्शन होता है |

 

3. नशे के अंतहीन चक्रव्यूह में कौन फंस जाता है?

उत्तर:  अवसाद, तनाव, विफलता, हताशा आदि मन को कमजोर बनाने वाली स्थितियां भी आदमी को नशे की ओर धकेल सकती है | इस तरह लाचार होकर मन का संतुलन खोजता आदमी एक  अंतहीन चक्रव्यूह में फंस जाता है |

 

 

4. कोकेन के सेवन से क्या नुकसान होता है?

उत्तर:   कोकेन एक खतरनाक ड्रग होती है और इसकी लत से दृष्टि भ्रम , मतिभ्रम , क्रोधयुक्त उन्माद आदि होने लगता है और पूरी तरह से मनुष्य का मानसिक तथा नैतिक पतन हो  जाता है |

 

5. नशा करने से पारिवारिक सामाजिक जीवन पर क्या असर पड़ता है?

उत्तर:  नशा करने से मन की अनेक रूगणताएं रोगी के परिवारिक तथा सामाजिक जीवन को भी खंडहरों में बदल देती है | वह अपनों का प्यार और साथ खो बैठता है और वह सामाजिक जीवन में भी निपट अकेला हो जाता है |

 

6. नशा करने से आर्थिक जीवन पर क्या असर पड़ता है?

उत्तर:  नशा करने वाले व्यक्तियों की नौकरी तक छूट जाती है, मित्र और सगे संबंधी भी छुट जाते हैं | आर्थिक समस्याएं दिनों दिन बढ़ती जाती है |

 

7. कौन-कौन सी संस्थाएं नशामुक्ति की सुविधाएं प्रदान कर रही हैं?

उत्तर:  आज देश में बहुत से सरकारी और गैर - सरकारी संगठन, अस्पताल, पुलिस और स्वयं सेवी संस्थाएं नशामुक्ति की सुविधाएं प्रदान कर रही है |

 

2) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार पंक्तियों में दीजिए:

 

1. नशे की भूल भुलैया में लोग क्यों फंस जाते हैं?

उत्तर:  निबुद्धि व्यक्ति ही नशे की भूल - भुलैया में फंस जाते हैं, जो नशों का एक बार रसास्वादन शुरू कर देते हैं , फिर वह उससे कभी भी मुक्ति नहीं पाते | अनेक श्रेणियों के लोग गम गलत करने,तो कोई शूनय ,स्नेहरिक्त नीरस जीवन में रस लाने के लिए , कोई उत्सुकतावश , तो कोई फैशनेबल दिखने कहलाने के लिए नशे के नर्क में धंसने चले जाते हैं |

2. लेखक के अनुसार किस तरह के लोग नशे के शिकार होते हैं?

उत्तर:  आज नशा करने वालों में हर तबके और हर उम्र के लोग , हाई स्कूल और कॉलेज के छात्र-छात्राएं , पढ़ाई बीच में छोड़ देने वाले किशोर और युवा , कलाकार , अभिनेता , अभिनेत्रियां , छोटे बड़े दुकानदार , क्लर्क , मजदूर , रिक्शा , ठेला , तिपहिया , स्कूटर तथा टैक्सी - चालक पान - सिगरेट बेचने वाले तथा बेरोजगार सभी नशे के शिकार होकर नशे के भूल भुलैया में सम्मिलित हो जाते हैं |

 

 

3. लोगों में नशे के बारे में किस तरह की गलतफहमी है? पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए|

उत्तर:  कई लोग नशे में अपनी गलतफहमी से ही फंस जाते हैं | मन को कमजोर बनाने वाली स्थितियां भी आदमी को नशे की ओर धकेल सकती है | अत : मन का संतुलन खोजता आदमी नशे की दलदल में फंस जाता है |  कुछ एक इस गलतफहमी का शिकार हो जाते हैं कि नशा कल्पनाशीलता और सृजनात्मकता बढ़ाता है | जबकि वास्तविकता यह है कि नशा करने से मनन क्षमता क्षीण हो जाती है और व्यक्ति अपना स्वास्थ्य भी गंवा सकता है |

 

4. नशा करने वाले व्यक्ति के स्वभाव में क्या परिवर्तन जाता है?

उत्तर:  नशा करने वाले व्यक्ति के मन पर नशा गहरा असर डालता है |  ज्यादातर मादक पदार्थ  सुख का भ्रांति - भाव पैदा  कहते है | आदमी पर मदहोशी - सी जाती  है और मन कुछ सोच नहीं पाता | वह चिड़चिड़ा हो जाता है | भूख मर जाती है | वह अकारण  ही सबसे झगड़ा करने लगता है | वह अकेला रहने लगता है |

 

5. नशा करने से कौन-कौन सी भयंकर बीमारियां होती है?

उत्तर: नशा करने वालों को अनेक भयंकर बीमारियां आकर घेर लेती है नशा करने वालों में तपेदिक एचआईवी और इसके संक्रामक रोग अधिक पाए जाते हैं | मतली उल्टी और शरीर के कई दर्द भी उन्हें सताते हैं | सिगरेट तथा चिलम के सहारे नशा करने वालों के फेफड़े रूगण हो जाते हैं | नशा करने वालों को बातस्फीती और फेफड़े का कैंसर होने की आशंका भी बनी रहती है | उन्हें यकृतशोथ और एचआईवी एड्स का भी खतरा बढ़ जाता है |

3) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर 6- 7 पंक्तियों में दीजिए:

 

1. नशा करने का एक बार का अनुभव आगे चलकर व्यसन में बदल जाता है _ कैसे?

उत्तर:  नशे की शुरुआत अक्सर किसी दोस्त या साथी के कहे में आकर होती है | यह एक अनुभव ही कई बार आगे चलकर व्यसन में तब्दील हो जाता है|  मादक पदार्थों के व्यसन से मुक्ति पाना आसान नहीं होता | शारीरिक आसक्ता उत्पन्न करने वाले नशे समय से अगली खुराक ना मिलने पर तन - मन के भीतर गहरे तड़प पैदा कर देते हैं | यह लक्ष्य नशा ना मिलने से चंद घंटों बाद ही शुरू हो जाते हैं तथा 10 - 14 दिन तक कायम रहते हैं तथा इस चक्रव्यूह से निकलने के लिए चिकित्सीय मदद की जरूरत रहती है |

 

2. नशेड़ी व्यक्ति का जीवन अंतम:  नीरस हो जाता है_ कैसे?

उत्तर:  नशेड़ी के लिए हर नशा मन की दुनिया पर गहरा असर डालता है | ज्यादातर मादक पदार्थ सुख का भ्रांति भाव पैदा करते हैं | आदमी पर मदहोशी - सी छा जाती है और मन कुछ सोच नहीं पाता | नशा - ग्रस्त व्यक्ति स्वभाव से चिड़चिड़ा हो जाता है | उसे जीवन में कुछ भी अच्छा नहीं लगता | अपने आप से ही उसे  गलानी होने लगती है | वह अपने परिवार परिजनों से अलग - थलग रहने लगता है | अंत में वह डिप्रेशन का शिकार हो जाता है | उसे जीवन नीरस सा लगने लगता है |

 

3. नशा मुक्त के क्या-क्या उपाय किए जाते हैं?

उत्तर:  नशे के चंगुल से मुक्त कराने में मनोरोग विशेषज्ञ विशेष रूप से मदद कर सकते हैं | नशा मुक्ति के लिए वह कई प्रकार की चिकित्सा पद्धतियां व्यवहार में लाते हैं| कुछ नशीले पदार्थों से छुटकारा दिलाने के लिए डॉक्टर नशे की खुराक बताते हुए उसे धीरे-धीरे बंद करते  है , तो कुछ नशों को बंद करने के साथ-साथ ऐसी दवाएं दी जाती है जिनसे तन - मन की छटपटाहट नियंत्रण में रहती है | उपचार का यह प्रथम चरण प्राय: 2 हफ्ते तक चलता है | इस दौरान रोगी को अस्पताल में भर्ती करना पड़ सकता है |

 

3. निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए:

 

. अवसाद, तनाव,विफलता,हताशा आदि मन को कमजोर बनाने वाली स्थितियां भी नशे की और धकेल सकती हैं |

 

 

उत्तर ():  इन पंक्तियों में लेखक ने यही बताने की चेष्टा की है कि नशे की शुरुआत किसी बुरी संगति के अनुभव से होती है और आगे चलकर व्यसन में तब्दील हो जाती है | वस्तुत : जब नशे की लत लग जाती है तो कई प्रकार की परिस्थितियां मनुष्य को नशे करने की ओर प्रेरित करती है | किसी प्रकार का दु: होने पर , कोई उदासी होने पर , किसी अवस्था में पराजित होने पर , निराशा या दु : आदि सभी परिस्थितियों में मनुष्य नशे का ही सहारा लेता है | वस्तुत : मन को स्थिर रखने के लिए नशेड़ी नशे के ऐसे चक्रव्यू में उलझा ही रहता है जिसमें से बाहर निकलना मुश्किल होता है |

मन का संतुलन खोजता आदमी एक अंतहीन चक्रव्यूह में फंस जाता है|

उत्तर ():  लेखक निबंध के अंत में यही बताना चाहता है कि भले ही देश में बहुत से सरकारी , गैर सरकारी संगठन, अस्पताल , पुलिस तथा स्वयं सेवी संस्थाएं नशा मुक्ति की सुविधाएं प्रदान कर रही है , परंतु नशे के  अंतहीन चक्रव्यूह से बाहर निकलने के लिए मनुष्य को    स्वय भी प्रयत्न करने चाहिए | मगर इन सब से अच्छा यही है कि मनुष्य  नशों के चक्कर में पड़े ही नहीं ना तो नशे के साथ कोई प्रयोग किया जाए और नहीं | तो  नशे साथ कोई प्रयोग किया जाए और ना ही नशेड़ीओं के चंगुल में फंसा जाए | नशा एक ऐसा चक्रव्यू है जिसमें चारों तरफ अंधेरा गहराता जाता है |